कबीर दास जी के दोहे
मुख से नाम रटा करैं, निस दिन साधुन संग
कहु धौं कौन कुफेर तें, नाहीं लागत रंग।।
अर्थ :
कबीरदास जी कहते हैं कि रात-दिन भगवान का नाम जपने और रोज साधुओं के साथ संगत करने के बावजूद कुछ लोगों पर भक्ति का रंग नहीं चढ़ता क्योंकि वे अपने अंदर के विकारों से मुक्त नहीं हो पाते।।